अध्यात्म
"अध्यात्म जीव का आत्मा से मिलन तथा दरश –
परश और मेल – मिलाप करते हुए आत्मामय कायम करने – कराने का एक क्रियात्मक साधना
पद्धति है । जिसके अंतर्गत शरीर में मूलाधार स्थित जीव का भ्रूमध्य स्थित
आज्ञाचक्र में पहुँच कर आत्म ज्योति या दिव्य ज्योति रूप ईश्वर या ब्रह्म ज्योति
रूप ब्रह्म या अलिमे नूर या आसमानी रोशनी या नूरे इलाही या Divine Light या Life Light जीवन ज्योति या सहज
प्रकाश या परम प्रकाश या भर्गो ज्योति या स्वयं ज्योतिरूप शिव का साक्षात्कार करना
एवं स्वाँस – निःस्वाँस के माध्यम से जप का निरन्तर अभ्यास पूर्वक आत्मामय या
ईश्वरमय या ब्रह्ममय होने – रहने का एक क्रियात्मक अध्यन पद्धति या विधान होता है।"
तत्त्वज्ञान
"‘तत्त्वज्ञान’ ही वह ‘अशेष ज्ञान’ पद्धति है जिसे
यथार्थतः जान लेने के पश्चात् कुछ भी जानना और पाना शेष नहीं रह जाता ।‘तत्त्वज्ञान’ एकमात्र परमप्रभु
हेतु आरक्षित एवं सुरक्षित पद्धति है जिसका एकमात्र प्रयोगकर्ता परमात्मा –खुदा-गाँड-भगवान
ही जब परम आकाश रूप परमधाम से भू-मण्डल पर अवतरित होता है, है। भगवदावतार के
सिवाय किसी को भी ‘तत्त्वज्ञान’ के वास्तविक रहस्य का पता ही नहीं होता। यही कारण है कि भगवदावतार के
पहचान का एकमात्र आधार तत्त्वज्ञान ही बना।"
नोट - विस्तृत जानकारी के लिए पूरा ब्लॉग पढ़ें अथवा पुस्तक पढ़ें।
पुस्तक प्राप्ति स्थल - परमतत्त्वम् धाम आश्रम, बी-६ लिबर्टी कॉलोनी, सर्वोदय नगर, लखनऊ-२२६०१६ दूरभाष : ०५२२-२३४६६१३
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